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देश में जगह जगह पर नफ़रती तत्वों द्वारा नफ़रत की आग भड़काई जा रही है, एक समुदाय विशेष के खिलाफ लगातार घिर्णा का वातावरण समाज में पैदा किया जा रहा है ताकि राजनितिक रोटियां सेंकी जा सकें, अफ़सोस की बात है कि पुरी दुनिया में भारत की धार्मिक सौहद्र की मिसाल पेश करने वाले धार्मिक त्योहारों का इस्तेमाल नफ़रत भड़काने के लिए किया जा रहा है जिस से भारत की ग़लत छवि दुनिया में प्रस्तुत हो रही है.
भारत की राजधानी दिल्ली से एक वीडियो सोशल मीडिया पर टतेज़ी से वायरल हो रहा है, जिस में कुछ बर्क़ा पहनी मुस्लिम महिलाएं करवा चौथ के अवसर पर हिंदू महिलाओं को मेहंदी लगा रही हैँ, तभी कुछ युवक वहां पुहंचते हैँ और उन मुस्लिम महिलाओं को बुरा भला कहने लगते हैँ.
वो चिल्लाते हुए कहते हैँ कि हिंदू त्योहारों में आप (हिंदू महिलाएं ) कैसे इन मुस्लिम बर्क़ा पहनी महिलाओं से मेहंदी लगवा सकती हैँ? इन लोगों ने (मुस्लिम समाज ) ने हमारी बेटियों को बेचा है, लव जिहाद करते हैँ, हमारी हिंदू बेटियों का बलात्कार करते हैँ, और उन्हें काट कर फ़्रिज में भरते हैँ "
बुर्क़े पर भी जताया एतराज़ :
इन युवकों ने ये भी कहा कि "आज करवा चौथ के दिन ये महिलाएं बर्क़ा पहन कर क्यों मेहंदी लगा रही हैँ, इन्हें सूट पहन कर आना चाहिए था, ये अपनी पहचान बता रही हैँ," इन नफ़रती चिंटूओं का दोगला पन इससे ज़ाहिर है कि एक तरफ ये मुसलमानों पर पहचान छुपाने का आरोप लगाते हैँ, दूसरी तरफ इन्हें मुसलमानों के अपनी पहचान ज़ाहिर करने से भी दिक़्क़त है.
आख़िर कब भारतीय समाज को हिंदू-मुस्लिन में बाँटने वाले इन नफ़रती तत्वों पर क़ानूनी लगाम कसी जाएगी? आख़िर इन्हें किस का संरक्षण हासिल है,सोशल मीडिया पर इस घटना को लेकर ख़ुद हिंदू समाज ने इन नफरती चिंटूओं को लताड़ लगाई है, लेकिन सवाल यही पैदा होता है कि कब तक ये नफरत की खेती की जाती रहेगी? देश के जागरूक नागरिकों को इन असामाजिक तत्वों पर क़ानूनी कार्रवाई की मांग के लिए एक प्लेटफॉर्म पर आना होगा.
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